*🗓*आज का पञ्चाङ्ग*🗓*
*🎈 🔷आश्विन, शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी विक्रम सम्वत 2082,
8अक्टूबर 2025 बुधवार🌙🙏*
*🎈दिनांक - 8 अक्टूबर 2025 *
*🎈 दिन - बुधवार*
*🎈 विक्रम संवत् - 2082*
*🎈 अयन - दक्षिणायण*
*🎈 ऋतु - शरद*
*🎈 मास - आश्विन*
*🎈 पक्ष - शुक्ल पक्ष*
*🎈तिथि- द्वितीया 26:21:58*तक तत्पश्चात् तृतीया*
*🎈 नक्षत्र - कृत्तिका 26:38:11 तत्पश्चात् रोहिणी*
*🎈 योग - व्यतिपत 12:54:2* रात्रि तक तत्पश्चात् वरियान*
*🎈करण -सिद्वि 16:53:44 pm* तक तत्पश्चात् परिघ*
*🎈चन्द्र राशि- मेष till 10:41:19*
*🎈चन्द्र राशि- वृषभ from 10:41:19*
*🎈सूर्य राशि- तुला*
*🎈 सूर्योदय - 06:32:14*am
*🎈 सूर्यास्त -18:12:26*pm (सूर्योदय एवं सूर्यास्त ,नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*🎈 ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से प्रातः 05:42 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अभिजित मुहूर्त- नहीं है। (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 निशिता मुहूर्त - 11:58 पी एम से 12:47 ए एम, अक्टूबर 09 तक (नागौर राजस्थान मानक समयानुसार)*
*🎈 अमृत काल 04:21 पी एम से 05:47 पी एम
*🎈 व्रत पर्व विवरण गुरुवार*
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*🛟चोघडिया, दिन🛟*
नागौर, राजस्थान, (भारत)
मानक सूर्योदय के अनुसार।
*🎈 लाभ - उन्नति-06:31 ए एम से 07:59 ए एम*
*🎈 अमृत - सर्वोत्तम-07:59 ए एम से 09:27 ए एम*
*🎈 काल - हानि-09:27 ए एम से 10:55 ए एम काल वेला*
*🎈 शुभ - उत्तम-10:55 ए एम से 12:22 पी एम*
*🎈 रोग - अमंगल-12:22 पी एम से 01:50 पी एम वार वेला*
*🎈 उद्वेग - अशुभ-01:50 पी एम से 03:18 पी एम*
*🎈 चर - सामान्य-03:18 पी एम से 04:46 पी एम*
*🎈 लाभ - उन्नति-04:46 पी एम से 06:14 पी एम*
*🛟चोघडिया, रात्🛟*
*🎈उद्वेग - अशुभ-06:14 पी एम से 07:46 पी एम
*🎈शुभ - उत्तम-07:46 पी एम से 09:18 पी एम
*🎈अमृत - सर्वोत्तम-09:18 पी एम से 10:50 पी एम*
*🎈चर - सामान्य-10:50 पी एम से 12:23 ए एम, अक्टूबर 09*
*🎈रोग - अमंगल-12:23 ए एम से 01:55 ए एम, अक्टूबर 09*
*🎈काल - हानि-01:55 ए एम से 03:27 ए एम, अक्टूबर 09*
*🎈लाभ - उन्नति-03:27 ए एम से 04:59 ए एम, अक्टूबर 09 काल रात्रि*
*🎈उद्वेग - अशुभ-04:59 ए एम से 06:32 ए एम, अक्टूबर 09*
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🚩 *☀#जय गणेश☀*
*🌹जय मां सच्चियाय 🌹*
🚩#कार्तिक मास का महत्त्व!!🚩
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🌷🌷 कार्तिक मास माहात्म्य एवं पूजा विधि नियम 🌷🌷
🍁 कार्तिक मास 08/10/2025 से 05/11/2025
तक है🍁
कार्तिक माह बेहद पुण्यदायी माना गया है, इस महीने में पवित्र नदी में स्नान, दान, तुलसी पूजा करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. ।
अश्विन माह के बाद कार्तिक का महीना शुरू हो जाता है. ये माह भगवान विष्णु को समर्पित है. कार्तिक के महीने में स्नान दान और उपवास करने से सभी कष्टों से मुक्ति बहुत आसानी से मिल जाती है. इस महीने में भगवान शिव और विष्णु तथा कार्तिकेय और तुलसी की पूजा का विधान है..
अक्षय पुण्य की प्राप्ति के लिए इस महीने में भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा भक्ति और मां तुलसी के वृक्ष की सेवा और भक्ति की जाती है।
इस माह में लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, कहते हैं कि ऐसा करने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसके सारे पाप भी धुल जाते हैं और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा इंसान पर बरसती है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस महीने में जप, तप, दान का भी काफी महत्व है। कहते हैं कि कार्तिक माह में स्नान के भी नियम है,।
पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।
चतुर्मास का अंतिम मांस कार्तिक मास माना जाता है।
माना जाता है कि इस माह की पूर्णिमा वाले दिन तो भगवान भी धरती पर उतर आते हैं। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है इसलिए इस दौरान काशी, प्रयाग राज जैसे तीर्थ स्थलों पर जमकर भक्तों की भीड़ देखी जाती है। लेकिन अगर आप किसी कारणवश पवित्र नदियों तक नहीं पहुंच पाते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप अपने नहाने वाले जल में गंगाजल की कुछ बूंदें मिला सकते हैं।
सूर्योदय से पहले किया गया स्नान
घर में स्नान करने के बाद आप तुलसी के पौधे ओर आप अपने घर के मंदिर में घी-तेल का दीपक सुबह-शाम जला सकते हैं और कार्तिक मास की कथा सुन सकते हैं। कार्तिक माह में प्रतिदिन सूर्योदय से पहले किया गया स्नान एक हजार गंगा स्नान के बराबर माना गया है। कार्तिक मास में ही तुलसी माता और शालिग्राम का विवाह किया जाता है औऱ कहते हैं कि सुबह-शाम तुलसी के पास दीपक जलाने से मां लक्ष्मी और प्रभु विष्णु की कृपा इंसान के ऊपर बरसती है और उसके घर में धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
भक्तों का सीधे साक्षात्कार श्रीहरि से होता है
कार्तिक माह में अन्न, धन एव वस्त्र दान का भी बहुत महत्व है। ये महीना संयमित होकर प्रभु में ध्यान लगाने का होता है। इससे इंसान को हर तरह का सुख और शांति मिलती है। भक्तों का सीधे साक्षात्कार श्रीहरि से होता है इसलिए लोग इस माह का बेसब्री से इंतजार भी करते हैं।
हाथ में कुशा लेकर स्नान करें
स्नान के बारे में महर्षि अंगिरा ने कहा है कि अगर आप स्नान करने गए हैं तो हाथ में कुशा लेकर स्नान करें जिससे आपको कर्मफल की प्राप्ति हो इसी प्रकार आप अगर दान कर रहे हों तो आप अपने हाथ से पहले जल दान करें और फिर किसी और चीज का दान करें, इससे आपके सारे पापों का अंत तो होगा ही साथ ही आपकी हर इच्छा भी पूरी होगी।
स्नान करते वक्त इन मंत्रों का भी जाप करें---
ॐ श्री गणेशाय नमः।
ॐ नमो नारायणाय वासुदेवाय।
ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय ।
ॐ भगवती तुलसीदेव्यै विष्णुप्रियायै नमः।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्रींं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः।
ॐ नमो केशवाय ।
ॐ ह्रीं गंगायै विश्व रूपिणी नारायण्यै नमः।
ॐ नम: शिवाय ।
ॐ त्र्यम्बेकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धूनान् मृत्योवर्मुक्षीय मामृतात्।
ॐ विष्णवे नम:।
ॐ हूं विष्णवे नम:।
. ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।
कार्तिक माह तप और व्रत का माह है, इस माह में भगवान की भक्ती और पूजा अर्चना करने से मनुष्य की सारी इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
👉कार्तिक माह में स्नान का महत्व ---
मासानां कार्तिक: श्रेष्ठो देवानां मधुसूदन।
तीर्थं नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।।
अर्थ - स्कंद पुराण में लिखे इस श्लोक के अनुसार, भगवान विष्णु और विष्णु तीर्थ के समान ही कार्तिक माह भी श्रेष्ठ और दुर्लभ है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुरों राक्षस का वध किया था और भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था. कार्तिक महीने में भगवान विष्णु मत्स्यावतार लेकर जल में रहते हैं. ऐसे में कार्तिक के पूरे महीने सूर्योदय से पूर्व नदी या तालाब में स्नान करने और दान करने से बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. वह पाप मुक्त हो जाता है. कहते हैं स्वंय देवतागण भी कार्तिक माह में गंगा में स्नान करने धरती पर आते हैं.
👉कार्तिक माह में क्या करें -----
कार्तिक महीने में सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी के जल से स्नान करें. किसी नदी में स्नान भी कर सकेत हैं. इससे मोक्ष प्राप्त होता है. पाप धुल जाते हैं.
खाली पेट पानी के साथ तुलसी के कुछ पत्ते खाएं. मान्यता है इससे सालभर बीमारियों से राहत रहती है.
कार्तिक के महीने में रोजाना तुलसी के नीचे दीपक लगाएं और परिक्रमा करें. इससे धन लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
कार्तिक माह में दिया गया दान जैसे अन्न, ऊनी वस्त्र, तिल, दीपदान, आंवला दान करने से हर तरफ से लक्ष्मी की कृपा मिलती है.
इस महीने में मूली, कंद, गाजर, गराडू, शकरकंद खाना सेहत के लिए अच्छा होता है. इससे व्यक्ति निरोगी रहता है.
👉कार्तिक माह में क्या न करें ---
कार्तिक के महीने में शरद ऋतु शुरू होती है. दो बदलते मौसम के बीच का समय होने से इन दिनों सेहत संबंधी परेशानी भी होने लगती है. ऐसे में कार्तिक महीने के दौरान बैंगन, मठ्ठा, करेला, दही, जीरा, फलियां और दालें नहीं खानी चाहिए.
कार्तिक के महीने में श्रीहरि जल में निवास करते हैं इसलिए भूलकर भी मछली या फिर अन्य प्रकार की तामसिक चीजें ग्रहण न करें.
👉समृद्धि पाने के कार्तिक मास के 7 नियम जानिए
हिन्दू पौराणिक और प्राचीन ग्रंथों में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस पूरे कार्तिक मास में व्रत व तप का विशेष महत्व बताया गया है। उसके अनुसार, जो मनुष्य कार्तिक मास में व्रत व तप करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
🍀समस्त सुख दिलाता है कार्तिक मास, अवश्य करें दीपदान
पुराणों में कहा है कि भगवान नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुण संपन्न माहात्म्य के संदर्भ में बताया है। कार्तिक मास में 7 नियम प्रधान माने गए हैं, जिन्हें करने से शुभ फल मिलते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है। ये 7 नियम इस प्रकार हैं -
🍏पहला नियम :
दीपदान - धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब आदि में दीपदान किया जाता है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
🍏दूसरा नियम :
तुलसी पूजा - इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।
🍏तीसरा नियम :
भूमि पर शयन - भूमि पर सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।
🍏 चौथा नियम :
तेल लगाना वर्जित - कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।
🍏पांचवां नियम :
🍏दलहन (दालों) खाना निषेध - कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।
🍏छठा नियम :
ब्रह्मचर्य का पालन - कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
🍏सातवां नियम :
संयम रखें - कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।
🍁कार्तिक मास के स्नान दान के साथ ध्यान जप का विशेष महत्व है। इस पूरे मास में भगवान विष्णु लक्ष्मी के साथ माता तुलसी की पूजा करना शुभ माना जाता है। कार्तिक महीने में व्रत, स्नान और दान करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। व्यापार और नौकरी में भी लाभ मिलता है। कार्तिक मास के दौरान रोजाना तुलसी जी की पूजा भी विधिवत करें।बिशेष रूप से संध्याकाल में तुलसी वृक्ष में दीपक जलाएं।
कार्तिक पूजा में नित्य भगवान लक्ष्मीनारायण और तुलसी के
स्तोत्र पाठ एवं जाप करना चाहिए।
तुलसी और विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्नाम गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र या कार्तिक मास के प्रत्येक दिन की कथा का पाठ करना चाहिए।
🍁माना जाता है कि भगवान विष्णु को तुलसी जी बेहद प्रिय हैं। इसी कारण कार्तिक मास में ही शालीग्राम के रूप में भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह भी भी किया जाता है। इस मास में तुलसी जी की विधिवत पूजा करने से हर तरह के दुखों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाती है।
🍁कार्तिक मास में ऐसे करें तुलसी पूजन
कार्तिक मास में रोजाना सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करके एक लोटे में स्वच्छ जल भर लें। इसके बाद तुलसी के पौधे की जड़ में धीरे-धीरे अर्पित करें। इसके साथ ही तुलसी के गमले में स्वास्तिक का चिन्ह बना लें। आप चाहे तो रंगोली भी बना सकते हैं। अब पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल चढ़ाएं। इसके बाद तुलसी के पौधे पर फूल, माला, सिंदूर, अक्षत , चुनरी आदि चढ़ाएं। इसके बाद भोग लगाएं। घी का दीपक और धूप जलाकर इस मंत्र का जाप करें - श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वृन्दावन्यै स्वाहा'अंत में विधिवत आरती कर लें। इस बात का ध्यान रखें कि रविवार के दिन तुलसी को न छुएं। इस दिन तुलसी छुने से दोष लगता है।
कार्तिक मास में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्बितीया तक पांच दिनों तक भगवती महालक्ष्मी पूजन का
दीपावली महापर्व मनाया जाता है।यह भगवती लक्ष्मी का
प्राकट्य दिवस है। इसलिए महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
कहा जाता है कि दीपावली पर भगवान गणेश भी
माता लक्ष्मी के पुत्र रूप में पूर्णानंद गणपति अवतार के
रूप में प्रकट हुए थे इसलिए भगवान गणेश की भी पूजा दीपावली पर की जाती है।इसी दिन भगवान राम अयोध्या आये थे।
दीपावली से पूर्व घर की साफ सफाई और सजावट की जाती है। प्रकाशोत्सव मनाया जाता है घर घर दीप प्रज्वलित किया जाता है। विभिन्न मिष्ठान बनाए जाते हैं और अपने स्वजनों को भेंट उपहार दिये जातें हैं।
शेष भाग आगे.......
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*☠️🐍जय श्री महाकाल सरकार ☠️🐍*🪷* मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय हो 🪷*
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*♥️~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं
*♥️ रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेमजी", नागौर (राज,)*
*।।आपका आज का दिन शुभ मंगलमय हो।।*
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